DCA Assignment Fundamentals of Computer 7 Answer in Hindi

DCA Assignment Fundamentals of Computer and Information Technology question Answer in Hindi



DCA Assignment Fundamentals of Computer

1. कंप्यूटर क्या है? कंप्यूटर के गुण और सीमाएं लिखिए |

कंप्यूटर क्या है?

कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो डेटा को प्रोसेस करने, संग्रहीत करने और उपयोगकर्ता के निर्देशों के अनुसार विभिन्न कार्यों को निष्पादित करने में सक्षम होता है। यह गणना, डेटा प्रबंधन, संचार, ग्राफिक्स और कई अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है।

कंप्यूटर के गुण

  1. गति: कंप्यूटर बहुत तेज गति से डेटा प्रोसेस कर सकता है।
  2. सटीकता: गणना में त्रुटियों की संभावना बहुत कम होती है, अगर इनपुट सही हो।
  3. संग्रहण क्षमता: कंप्यूटर बड़ी मात्रा में डेटा को लंबे समय तक संग्रहीत कर सकता है।
  4. स्वचालन: एक बार प्रोग्रामिंग हो जाने पर, कंप्यूटर स्वतः कार्य कर सकता है।
  5. बहुकार्यशीलता: एक समय में कई कार्यों को कर सकता है।
  6. संचार: इंटरनेट और नेटवर्किंग के माध्यम से दूरस्थ स्थानों से डेटा का आदान-प्रदान कर सकता है।
  7. मल्टीमीडिया समर्थन: टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स को प्रोसेस कर सकता है।

कंप्यूटर की सीमाएं:

  1. निर्णय क्षमता: कंप्यूटर केवल उस डेटा के आधार पर कार्य करता है जो उसे दिया जाता है; यह स्वायत्त निर्णय नहीं ले सकता।
  2. भावनात्मक बुद्धिमत्ता: कंप्यूटर में भावनाएं या संवेदनाएं नहीं होतीं।
  3. निर्भरता: कंप्यूटर को कार्य करने के लिए विद्युत शक्ति और सही सॉफ़्टवेयर की आवश्यकता होती है।
  4. सुरक्षा जोखिम: डेटा चोरी और साइबर हमलों के लिए संवेदनशील होता है।
  5. गणितीय सीमा: कुछ जटिल समस्याओं को हल करने में सीमाएं हो सकती हैं, जैसे कि NP-hard समस्याएं।
  6. अन्य तकनीकी समस्याएं: सॉफ़्टवेयर बग, हार्डवेयर फेल्योर आदि।

2. कंप्यूटर के पीढ़ियों को समझाइये |

कंप्यूटर की विकास यात्रा को विभिन्न पीढ़ियों में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक पीढ़ी ने तकनीकी, डिजाइन और कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए हैं। यहां कंप्यूटर की पांच प्रमुख पीढ़ियों का विवरण दिया गया है:

1. पहली पीढ़ी (1940-1956)

  • हार्डवेयर: वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया जाता था।
  • विशेषताएँ:
    • बहुत बड़े और भारी होते थे।
    • सीमित कार्यक्षमता और गति।
    • प्रोग्रामिंग के लिए मशीन लैंग्वेज का उपयोग होता था।
  • उदाहरण: ENIAC, UNIVAC।

2. दूसरी पीढ़ी (1956-1963)

  • हार्डवेयर: ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाने लगा।
  • विशेषताएँ:
    • आकार में छोटे, ऊर्जा की खपत कम।
    • अधिक तेज और विश्वसनीय।
    • उच्च स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं (जैसे FORTRAN, COBOL) का विकास हुआ।
  • उदाहरण: IBM 7094, CDC 6400।

3. तीसरी पीढ़ी (1964-1971)

  • हार्डवेयर: आईसी (इंटीग्रेटेड सर्किट) का उपयोग शुरू हुआ।
  • विशेषताएँ:
    • आकार में और भी छोटे और तेज।
    • मल्टीटास्किंग क्षमताएँ और टाइम-शेयरिंग।
    • उपयोग में आसानी के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास।
  • उदाहरण: IBM System/360, PDP-8।

4. चौथी पीढ़ी (1971-1980)

  • हार्डवेयर: माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग शुरू हुआ।
  • विशेषताएँ:
    • व्यक्तिगत कंप्यूटरों का विकास।
    • ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI) का उपयोग।
    • बड़े और जटिल सॉफ्टवेयर सिस्टमों का निर्माण।
  • उदाहरण: Apple II, IBM PC।

5. पाँचवीं पीढ़ी (1980-वर्तमान)

  • हार्डवेयर: उन्नत प्रोसेसर और नई तकनीकों का उपयोग।
  • विशेषताएँ:
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का विकास।
    • उच्च गति के नेटवर्क और इंटरनेट का विकास।
    • क्यूबिक्स और सुपरकंप्यूटरों की मौजूदगी।
  • उदाहरण: क्वांटम कंप्यूटिंग, AI आधारित सिस्टम।

3. Scanner क्या है OMR, OCR, MICR को समझाइए |

Scanner क्या है?

स्कैनर एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जिसका उपयोग दस्तावेजों, चित्रों और अन्य ग्राफिकल सामग्री को डिजिटल फॉर्म में कॉन्वर्ट करने के लिए किया जाता है। स्कैनिंग प्रक्रिया के दौरान, स्कैनर प्रकाश का उपयोग करता है ताकि वह कागज पर मौजूद जानकारी को पढ़ सके और उसे डिजिटल डेटा में परिवर्तित कर सके। स्कैनर कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि फ्लैटबेड स्कैनर, हैंडहेल्ड स्कैनर, और डोक्यूमेंट स्कैनर।

OMR (Optical Mark Recognition)

OMR एक तकनीक है जिसका उपयोग कागजी दस्तावेज़ों में भरे गए विकल्पों को पहचानने के लिए किया जाता है। यह मुख्यतः परीक्षा उत्तरपत्रों, सर्वेक्षण फॉर्म, और मतदान पत्रों के स्कैनिंग में उपयोग होती है।

  • विशेषताएँ:
    • OMR स्कैनर कागज पर बने चिह्नों (जैसे कि काले वृत्त) को पहचानता है।
    • इसे प्रयोग करने के लिए, उपयोगकर्ताओं को कागज पर निर्धारित क्षेत्रों में विकल्पों को भरना होता है।
    • OMR स्कैनर सटीकता और गति से बड़ी मात्रा में डेटा को प्रोसेस कर सकते हैं।

OCR (Optical Character Recognition)

OCR एक तकनीक है जिसका उपयोग टेक्स्ट को स्कैन किए गए दस्तावेजों से पहचानने के लिए किया जाता है। यह स्कैन किए गए टेक्स्ट को मशीन-डिजिटाइज़्ड डेटा में परिवर्तित करता है, जिससे उसे संपादित और खोजा जा सकता है।

  • विशेषताएँ:
    • OCR टेक्नोलॉजी छवियों में टेक्स्ट को पहचानती है और उसे शब्दों में परिवर्तित करती है।
    • इसका उपयोग दस्तावेजों की डिजिटल फॉर्म में सुरक्षा, संग्रहण और प्रबंधन के लिए किया जाता है।
    • OCR सॉफ्टवेयर अलग-अलग भाषाओं और फोंट्स का समर्थन करता है।

MICR (Magnetic Ink Character Recognition)

MICR एक तकनीक है जिसका उपयोग विशेष प्रकार के इंक (मैग्नेटिक इंक) से बने कैरेक्टर्स को पहचानने के लिए किया जाता है। यह मुख्यतः चेक और वित्तीय दस्तावेजों में उपयोग होता है।

  • विशेषताएँ:
    • MICR टेक्नोलॉजी चेक पर प्रिंट किए गए नंबरों को पढ़ती है, जो मैग्नेटिक इंक से बने होते हैं।
    • यह प्रक्रिया तेज़ और सुरक्षित होती है, जिससे वित्तीय संस्थाएँ तेजी से चेक को प्रोसेस कर सकती हैं।
    • MICR को सामान्य रूप से चेक के निचले हिस्से में देखा जाता है, जहां विशेष रूप से प्रिंट किए गए नंबर होते हैं।

4. प्रिंटर क्या है? Dot Matrix व Laser Printer को समझाइए

प्रिंटर क्या है?

प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जो डिजिटल डेटा को कागज़ या अन्य माध्यमों पर टेक्स्ट, चित्र या ग्राफिक्स के रूप में प्रिंट करता है। प्रिंटर का उपयोग कंप्यूटर से जुड़े दस्तावेज़ों, फ़ोटो, रिपोर्ट और अन्य सामग्री को भौतिक रूप में प्राप्त करने के लिए किया जाता है। प्रिंटर विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कि इंकजेट, डॉट मैट्रिक्स, लेज़र, और थर्मल प्रिंटर।

Dot Matrix Printer

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर एक प्रकार का मल्टीफंक्शनल इंक प्रिंटर है जो डिजिटल डेटा को छोटे-छोटे डॉट्स की मदद से प्रिंट करता है। इसमें एक प्रिंट हेड होता है जो कागज़ पर डॉट्स बनाता है।

  • विशेषताएँ:
    • प्रिंटिंग तकनीक: प्रिंट हेड में कई पिन होते हैं जो कागज़ पर टकराते हैं और इंक रिबन से रंगीन डॉट्स बनाते हैं।
    • उपयोग: ये सामान्यतः बिल, रिपोर्ट, और बहु-प्रतिलिपि (multi-copy) दस्तावेज़ों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
    • लागत: डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं और इंक रिबन की लागत भी कम होती है।
    • ध्वनि: प्रिंट करते समय ये कुछ शोर करते हैं, जिससे ये कम शांत होते हैं।
  • फायदे:
    • बहु-प्रतिलिपि प्रिंटिंग की क्षमता (जैसे, कॉर्बन पेपर के माध्यम से)।
    • कागज़ की विभिन्न मोटाई पर काम करने की क्षमता।
  • कमजोरियाँ:
    • प्रिंट क्वालिटी इंकजेट और लेज़र प्रिंटर के मुकाबले कम होती है।
    • रंग प्रिंटिंग की सीमित क्षमता।

Laser Printer

लेज़र प्रिंटर एक आधुनिक प्रिंटिंग डिवाइस है जो लेज़र बीम और इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज का उपयोग करके टेक्स्ट और चित्र प्रिंट करता है। यह उच्च गति और उच्च गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।

  • विशेषताएँ:
    • प्रिंटिंग तकनीक: लेज़र प्रिंटर में एक लेज़र बीम होती है जो ड्रम पर चार्ज करता है, और फिर टोनर (पाउडर) को इस चार्ज पर चिपका दिया जाता है। बाद में, यह टोनर कागज़ पर स्थानांतरित किया जाता है।
    • उपयोग: ये आमतौर पर कार्यालयों और व्यवसायों में उच्च मात्रा में प्रिंटिंग के लिए उपयोग होते हैं।
    • स्पीड और गुणवत्ता: लेज़र प्रिंटर तेज़ होते हैं और उच्च गुणवत्ता में प्रिंट करते हैं, खासकर टेक्स्ट में।
  • फायदे:
    • तेज प्रिंटिंग स्पीड और उच्च गुणवत्ता।
    • लंबे समय तक चलने वाली टोनर कार्टिज (इंक के मुकाबले)।
  • कमजोरियाँ:
    • प्रारंभिक लागत अपेक्षाकृत अधिक होती है।
    • रंग प्रिंटिंग के लिए विशेष प्रकार के लेज़र प्रिंटर की आवश्यकता होती है।

5. सॉफ्टवेयर क्या है? सॉफ्टवेयर के विभिन्न प्रकारों को समझाइए |

सॉफ्टवेयर क्या है?

सॉफ्टवेयर एक सेट होता है निर्देशों और कोड का, जो कंप्यूटर हार्डवेयर को संचालित करने और विभिन्न कार्यों को पूरा करने में मदद करता है। सॉफ्टवेयर बिना हार्डवेयर के काम नहीं कर सकता और यह कंप्यूटर प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा है। सॉफ्टवेयर को दो मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर।

सॉफ्टवेयर के विभिन्न प्रकार

  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर:
    • यह कंप्यूटर के हार्डवेयर और अन्य सॉफ्टवेयर के बीच मध्यस्थ का काम करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर का मुख्य उद्देश्य हार्डवेयर को संचालित करना और अन्य सॉफ्टवेयर को चलाना है।
    • उदाहरण:
      • ऑपरेटिंग सिस्टम: जैसे Windows, macOS, Linux। यह कंप्यूटर के सभी संसाधनों का प्रबंधन करता है और उपयोगकर्ता को इंटरफेस प्रदान करता है।
      • ड्राइवर: हार्डवेयर उपकरणों (जैसे प्रिंटर, स्कैनर) को संचालित करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर।
      • यूटिलिटी प्रोग्राम: जैसे कि एंटीवायरस, फाइल मैनेजमेंट टूल्स, और बैकअप सॉफ़्टवेयर।
  2. एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर:
    • यह सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर विभिन्न कार्यों को करने में सहायता करता है, जैसे कि दस्तावेज़ बनाना, डेटा प्रबंधन, या मनोरंजन।
    • उदाहरण:
      • प्रोडक्टिविटी सॉफ्टवेयर: जैसे Microsoft Office (Word, Excel, PowerPoint), Google Docs।
      • ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर: जैसे Adobe Photoshop, CorelDRAW।
      • वेब ब्राउज़र: जैसे Google Chrome, Mozilla Firefox।
      • मल्टीमीडिया सॉफ्टवेयर: जैसे VLC Media Player, iTunes।
  3. डेवलपमेंट सॉफ्टवेयर:
    • यह सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग और एप्लिकेशन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें प्रोग्रामिंग भाषाएँ, कंपाइलर, डिबगर, और आईडीई (Integrated Development Environment) शामिल हैं।
    • उदाहरण:
      • विजुअल स्टूडियो: Microsoft का IDE।
      • Eclipse: Java डेवलपमेंट के लिए।
      • PyCharm: Python डेवलपमेंट के लिए।
  4. सर्वर सॉफ्टवेयर:
    • यह सॉफ्टवेयर नेटवर्क पर सर्वर के रूप में कार्य करता है, जिससे डेटा और संसाधनों को साझा किया जा सके।
    • उदाहरण:
      • वेब सर्वर: जैसे Apache, Nginx।
      • डेटाबेस सर्वर: जैसे MySQL, Oracle।
  5. मोबाइल एप्लिकेशन:
    • यह सॉफ्टवेयर विशेष रूप से मोबाइल उपकरणों के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये एप्लिकेशन उपयोगकर्ताओं को मोबाइल फोन या टैबलेट पर कार्य करने की अनुमति देते हैं।
    • उदाहरण:
      • सोशल मीडिया एप्स: जैसे Facebook, Instagram।
      • मेसेंजिंग एप्स: जैसे WhatsApp, Telegram।

6. डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम की व्याख्या करें। डॉस के पांच आंतरिक और बाह्य कमांड लिखें।

डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (DOS) एक प्रकार का ऑपरेटिंग सिस्टम है जो डिस्क-आधारित कंप्यूटर सिस्टम में काम करता है। यह उपयोगकर्ताओं को फ़ाइलों और डायरेक्ट्रीज़ को प्रबंधित करने, प्रोग्राम्स चलाने और सिस्टम संसाधनों का उपयोग करने की अनुमति देता है। DOS कमांड-लाइन इंटरफ़ेस पर आधारित होता है, जहाँ उपयोगकर्ता टेक्स्ट कमांड्स के माध्यम से सिस्टम के साथ संवाद करते हैं।

DOS के पांच आंतरिक कमांड:

  1. DIR: यह कमांड वर्तमान डायरेक्टरी में मौजूद फ़ाइलों और फ़ोल्डरों की सूची दिखाता है।
  2. COPY: इसका उपयोग फ़ाइलों की एक कॉपी बनाने के लिए किया जाता है।
  3. DEL: यह कमांड फ़ाइलों को हटाने के लिए प्रयोग होता है।
  4. REN: इसका उपयोग फ़ाइलों का नाम बदलने के लिए किया जाता है।
  5. CLS: यह कमांड कमांड प्रॉम्प्ट पर स्क्रीन को साफ करता है।

DOS के पांच बाह्य कमांड:

  1. FORMAT: यह कमांड डिस्क को फॉर्मेट करने के लिए प्रयोग होता है।
  2. CHKDSK: इसका उपयोग डिस्क की स्थिति की जाँच करने के लिए किया जाता है।
  3. DISKCOPY: यह कमांड एक डिस्क की पूरी कॉपी दूसरे डिस्क पर बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  4. SCANDISK: यह कमांड डिस्क पर खराब सेक्टरों की जांच करता है।
  5. BACKUP: इसका उपयोग फ़ाइलों और डायरेक्टरीज़ का बैकअप बनाने के लिए किया जाता है।

7. वायरस क्या है? वायरस के प्रकार और उपयोग एवं एंटी-वायरस बताएं।

वायरस क्या है?

वायरस एक प्रकार का मैलवेयर (malware) होता है, जो कंप्यूटर या अन्य डिजिटल उपकरणों में अनधिकृत तरीके से प्रवेश करता है और उन्हें नुकसान पहुँचाने, डेटा चुराने या सिस्टम की कार्यक्षमता को बाधित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। वायरस एक प्रोग्राम या कोड का एक टुकड़ा होता है, जो खुद को अन्य प्रोग्रामों, फ़ाइलों या दस्तावेजों में जोड़कर फैलता है।

वायरस के प्रकार:

  1. फ़ाइल वायरस: ये वायरस फ़ाइलों में कोड जोड़ते हैं, जैसे .exe, .com फ़ाइलें। जब उपयोगकर्ता संक्रमित फ़ाइल को चलाता है, तो वायरस सक्रिय हो जाता है।
  2. मैक्रो वायरस: ये विशेष रूप से ऑफिस सॉफ़्टवेयर जैसे MS Word या Excel में मैक्रो फ़ाइलों को लक्षित करते हैं। ये दस्तावेज़ों में छिपे होते हैं।
  3. बूट सेक्टर वायरस: ये वायरस कंप्यूटर के बूट सेक्टर में रहते हैं और कंप्यूटर को चालू करने पर सक्रिय हो जाते हैं। ये कंप्यूटर की स्टार्टअप प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
  4. वायरल वायरस: ये वायरस अन्य वायरस के द्वारा फैलते हैं और खुद को अन्य फ़ाइलों में जोड़कर बढ़ते हैं।
  5. वर्म्स: ये नेटवर्क के माध्यम से फैलते हैं और स्वयं को बिना किसी मानव क्रिया के कई कंप्यूटरों में भेज सकते हैं।

वायरस के उपयोग:

हालांकि वायरस आमतौर पर नुकसान पहुँचाने के लिए बनाए जाते हैं, कुछ मामलों में उनका उपयोग शैक्षिक उद्देश्यों, सुरक्षा परीक्षण और अनुसंधान में किया जाता है। लेकिन इस तरह के उपयोग को नियंत्रित और कानूनी ढंग से किया जाना चाहिए।

एंटी-वायरस:

एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर विशेष रूप से वायरस और अन्य मैलवेयर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं। ये सॉफ़्टवेयर वायरस को पहचानने, उन्हें हटाने और सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करते हैं। कुछ लोकप्रिय एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर में शामिल हैं:

  1. Norton Antivirus
  2. McAfee
  3. Kaspersky
  4. Bitdefender
  5. Avast

इन एंटी-वायरस प्रोग्रामों में नियमित रूप से अपडेट होने वाले वायरस डेटाबेस होते हैं, जो नए वायरस और मैलवेयर से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

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