PGDCA Assignment DBMS and SQL 10 Answer in Hindi awesome
PGDCA Assignment DBMS and SQL
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Q.1 DBMS क्या है? विभिन्न डाटाबेस मॉडल को समझाइए।
DBMS (डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली) एक सॉफ्टवेयर सिस्टम है जिसका उपयोग डेटाबेस को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। यह उपयोगकर्ताओं को डेटा को स्टोर, रिट्रीव, संशोधित और प्रबंधित करने की अनुमति देता है। DBMS के माध्यम से डेटा को सुरक्षित, संगठित और संरचित रूप में रखा जाता है, जिससे डेटा का समुचित उपयोग संभव होता है।
DBMS के प्रमुख कार्य:
- डेटा संग्रहण: डेटा को एक केंद्रीय स्थान पर संरक्षित किया जाता है।
- डेटा प्रबंधन: डेटा को संगठित करने और क्वेरी करने के लिए उपयोगकर्ताओं को आवश्यक टूल प्रदान करता है।
- डेटा सुरक्षा: यह डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जैसे उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण और पहुँच नियंत्रण।
विभिन्न डेटाबेस मॉडल निम्नलिखित हैं:
- हैयरार्किकल मॉडल: इस मॉडल में डेटा एक पेड़ के रूप में संरचित होता है, जिसमें प्रत्येक रिकॉर्ड का एक माता-पिता होता है। यह सरलता से डेटा को संरचित करता है लेकिन जटिल संबंधों को संभालना कठिन होता है।
- नेटवर्क मॉडल: यह मॉडल जटिल संबंधों को प्रबंधित करने के लिए ग्राफ के रूप में डेटा को संगठित करता है। इसमें एक रिकॉर्ड कई माता-पिता के साथ जुड़ सकता है, जो इसकी लचीलापन बढ़ाता है।
- रिलेशनल मॉडल: यह सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला मॉडल है, जिसमें डेटा को तालिकाओं में संग्रहीत किया जाता है। प्रत्येक तालिका में पंक्तियाँ (rows) और स्तंभ (columns) होते हैं, और SQL का उपयोग डेटा के साथ काम करने के लिए किया जाता है।
- ऑब्जेक्ट-ओरिएंटेड मॉडल: इसमें डेटा को ऑब्जेक्ट्स के रूप में प्रबंधित किया जाता है। ये ऑब्जेक्ट्स डेटा और उसके साथ जुड़े कार्यों को एक साथ रखते हैं, जिससे जटिल डेटा संरचनाओं को प्रबंधित करना आसान हो जाता है।
Q.2 SQL + Plus क्या है? SQL + Plus के features को समझाइए।
SQLPlus Oracle डेटाबेस का एक इंटरैक्टिव टूल है, जिसका उपयोग SQL कमांड्स को लिखने और निष्पादित करने के लिए किया जाता है। यह डेटाबेस से संवाद करने के लिए एक कमांड-लाइन इंटरफेस प्रदान करता है। SQLPlus उपयोगकर्ताओं को SQL स्टेटमेंट्स, PL/SQL ब्लॉक्स, और रिपोर्ट्स बनाने की अनुमति देता है।
SQL*Plus के प्रमुख फीचर्स में शामिल हैं:
- SQL कमांड का निष्पादन: उपयोगकर्ता सीधे SQL क्वेरियों को टाइप कर सकते हैं और उनके परिणाम देख सकते हैं, जिससे डेटा को प्रबंधित करना आसान होता है।
- रिपोर्टिंग क्षमताएँ: SQL*Plus उपयोगकर्ताओं को कस्टम रिपोर्ट बनाने और आउटपुट को फॉर्मेट करने की अनुमति देता है, जैसे कि कॉलम चौड़ाई, शीर्षक आदि।
- स्क्रिप्टिंग सपोर्ट: उपयोगकर्ता SQL स्क्रिप्ट लिख सकते हैं, जिससे एकाधिक SQL स्टेटमेंट्स को एक बार में निष्पादित किया जा सकता है। यह जटिल कार्यों को स्वचालित करने में सहायक होता है।
- प्रेरक संदेश: यह उपयोगकर्ताओं को SQL स्टेटमेंट्स के निष्पादन के दौरान स्थिति संदेश प्रदर्शित करता है, जिससे उपयोगकर्ता को प्रक्रिया के बारे में जानकारी मिलती है।
- सेटिंग्स कस्टमाइजेशन: उपयोगकर्ता आउटपुट को कस्टमाइज़ करने के लिए विभिन्न सेटिंग्स को समायोजित कर सकते हैं, जैसे पृष्ठ सेटिंग्स, रिपोर्ट टाइटल्स इत्यादि।
Q.3 Data constraints क्या है? इसके प्रकारों को समझाइए।
Data constraints नियम होते हैं जो डेटाबेस में डेटा की वैधता और अखंडता सुनिश्चित करते हैं। ये constraints यह सुनिश्चित करते हैं कि डेटा सही और अपेक्षित मानकों के अनुसार हो, जिससे डेटा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनी रहे।
Data constraints के प्रमुख प्रकार हैं:
- NOT NULL: यह constraint यह सुनिश्चित करता है कि किसी कॉलम में NULL मान नहीं हो सकता। इसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी डेटा तत्व का होना अनिवार्य होता है।
- UNIQUE: यह constraint सुनिश्चित करता है कि कॉलम में सभी मान अद्वितीय हों। इसका अर्थ है कि कोई भी मान डुप्लिकेट नहीं हो सकता है। यह विशेष रूप से प्राथमिक कुंजी के लिए उपयोगी होता है।
- PRIMARY KEY: यह constraint एक या अधिक कॉलमों को अद्वितीय रूप से पहचानने के लिए उपयोग किया जाता है। यह NOT NULL और UNIQUE दोनों का संयोजन होता है और हर तालिका में केवल एक PRIMARY KEY हो सकता है।
- FOREIGN KEY: यह constraint एक तालिका के कॉलम को दूसरे तालिका के कॉलम से लिंक करता है। इसका उपयोग तालिकाओं के बीच संबंध बनाने और डेटा की अखंडता बनाए रखने के लिए किया जाता है।
- CHECK: यह constraint यह सुनिश्चित करता है कि कॉलम में डाले गए मान एक निर्दिष्ट शर्त को पूरा करते हैं। उदाहरण के लिए, उम्र कॉलम के लिए CHECK constraint यह सुनिश्चित कर सकता है कि मान 0 से अधिक हो।
Q.4 Oracle functions क्या है? इसके प्रकारों को समझाइए।
Oracle functions पूर्व-निर्धारित कार्य होते हैं जो SQL में विभिन्न प्रकार के संचालन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये कार्य डेटा को संसाधित करने, गणनाएँ करने, और डेटा के रूपांतरण में मदद करते हैं।
Oracle functions के प्रमुख प्रकार हैं:
- Aggregate Functions: ये एक समूह के लिए गणनाएँ करती हैं। उदाहरण के लिए, COUNT() (कितने रिकॉर्ड हैं), SUM() (कुल योग), AVG() (औसत), MAX() (अधिकतम मान), MIN() (न्यूनतम मान) जैसे कार्य शामिल हैं।
- Scalar Functions: ये एकल मान पर काम करती हैं, जैसे UPPER() (शब्द को बड़े अक्षरों में बदलना), LOWER() (शब्द को छोटे अक्षरों में बदलना), LENGTH() (शब्द की लंबाई), TRIM() (अवांछित स्थानों को हटाना)।
- Date Functions: ये तारीखों के साथ काम करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे SYSDATE (वर्तमान तारीख और समय), MONTHS_BETWEEN() (दो तारीखों के बीच महीनों की संख्या), ADD_MONTHS() (किसी तारीख में महीने जोड़ना) आदि।
- Conversion Functions: ये डेटा के प्रकारों को परिवर्तित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे TO_CHAR() (डेटा को वर्ण में बदलना), TO_DATE() (वर्ण को दिनांक में बदलना), TO_NUMBER() (वर्ण को संख्या में बदलना)।
Q.5 Join एवं View क्या है? समझाइए।
Join एक SQL ऑपरेशन है जिसका उपयोग विभिन्न तालिकाओं के बीच संबंध बनाने के लिए किया जाता है, ताकि संबंधित डेटा को एक साथ लाया जा सके। Join का उपयोग तब किया जाता है जब डेटा विभिन्न तालिकाओं में संग्रहीत होता है, और हम उन्हें एक साथ दिखाना चाहते हैं।
Join के विभिन्न प्रकार हैं:
- INNER JOIN: यह केवल उन रिकॉर्ड्स को लौटाता है जो दोनों तालिकाओं में मेल खाते हैं। इसका उपयोग सामान्य डेटा को देखने के लिए किया जाता है।
- LEFT JOIN: यह बाईं तालिका के सभी रिकॉर्ड्स और दाईं तालिका के मेल खाते रिकॉर्ड्स को लौटाता है। यदि दाईं तालिका में कोई मेल नहीं है, तो NULL मान लौटाता है।
- RIGHT JOIN: यह दाईं तालिका के सभी रिकॉर्ड्स और बाईं तालिका के मेल खाते रिकॉर्ड्स को लौटाता है। यदि बाईं तालिका में कोई मेल नहीं है, तो NULL मान लौटाता है।
- FULL JOIN: यह दोनों तालिकाओं के सभी रिकॉर्ड्स को लौटाता है, चाहे वे मेल खाते हों या नहीं। इसका उपयोग सभी संबंधित डेटा को देखने के लिए किया जाता है।
View एक वर्चुअल टेबल होती है, जो एक SQL क्वेरी के परिणाम को प्रदर्शित करती है। Views का उपयोग डेटा को सुरक्षित और व्यवस्थित करने के लिए किया जाता है। यह तालिकाओं के डेटा को कस्टमाइज़ करने की अनुमति देता है और जटिल क्वेरियों को सरल बनाता है।
Q.6 Sub – Query एवं Index क्या है? समझाइए।
Sub-query एक SQL क्वेरी होती है जो दूसरी क्वेरी के भीतर होती है। यह मुख्य क्वेरी के लिए एक सहायक भूमिका निभाती है। Sub-queries का उपयोग तब किया जाता है जब हमें एक तालिका से डेटा प्राप्त करना होता है जो दूसरी तालिका के डेटा पर निर्भर करता है। Sub-queries को SELECT, INSERT, UPDATE और DELETE स्टेटमेंट्स में उपयोग किया जा सकता है।
Index एक विशेष डेटा संरचना होती है जो डेटाबेस तालिकाओं में डेटा की खोज को तेज़ करती है। यह तालिका में डेटा के स्थान को संदर्भित करता है और उपयोगकर्ताओं को तेजी से खोज करने की अनुमति देता है।
Index के प्रकार:
- Unique Index: यह सुनिश्चित करता है कि तालिका में कोई दो रिकॉर्ड समान न हों। इसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी कॉलम की अनन्यता महत्वपूर्ण हो।
- Composite Index: यह एक से अधिक कॉलमों पर आधारित होता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब जटिल खोजों के लिए कई कॉलमों पर आधारित खोजें की जाती हैं।
Q.7 Cursor क्या है? इसके प्रकारों को समझाइए।
Cursor एक डेटाबेस ऑब्जेक्ट होता है जो SQL स्टेटमेंट्स के परिणामों को रिट्रीव करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह उपयोगकर्ताओं को एक समय में एक रिकॉर्ड पर काम करने की अनुमति देता है, जिससे डेटा को अधिक नियंत्रित तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है।
Cursor के प्रकार:
- Implicit Cursor: यह SQL स्टेटमेंट के निष्पादन के दौरान स्वचालित रूप से बनाया जाता है। यह सामान्य SQL ऑपरेशनों के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे INSERT, UPDATE, DELETE। उपयोगकर्ता को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।
- Explicit Cursor: यह उपयोगकर्ता द्वारा परिभाषित किया जाता है और इसका नियंत्रण उपयोगकर्ता के हाथ में होता है। इसे विशेष रूप से SELECT स्टेटमेंट के लिए उपयोग किया जाता है, जहां कई रिकॉर्ड्स को रिट्रीव किया जाता है।
Q.8 Exception handling क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
Exception handling एक प्रक्रिया होती है जिसका उपयोग किसी प्रोग्राम में अपवादों (errors) को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रोग्राम अप्रत्याशित स्थितियों के दौरान भी सही तरीके से कार्य करता है। Oracle PL/SQL में, अपवादों को पकड़ने और संभालने के लिए विशेष संरचना होती है, जिसमें EXCEPTION ब्लॉक शामिल होता है।
उदाहरण: यदि कोई उपयोगकर्ता 0 से विभाजन करने का प्रयास करता है, तो यह एक अपवाद उत्पन्न करेगा। Exception handling का उपयोग करके इस अपवाद को नियंत्रित किया जा सकता है और उपयोगकर्ता को एक उपयुक्त संदेश दिया जा सकता है।
Q.9 Lock क्या है? Lock के प्रकारों को समझाइए।
Lock एक तंत्र होता है जिसका उपयोग डेटा की सुरक्षा के लिए किया जाता है, ताकि एक समय में केवल एक उपयोगकर्ता ही डेटा को संशोधित कर सके। यह डेटा की अखंडता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
Lock के प्रकार:
- Shared Lock: इसे एक से अधिक उपयोगकर्ताओं द्वारा पढ़ने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इससे डेटा को पढ़ा जा सकता है लेकिन संशोधित नहीं किया जा सकता।
- Exclusive Lock: इसे केवल एक उपयोगकर्ता द्वारा डेटा को पढ़ने और लिखने के लिए उपयोग किया जाता है। जब कोई उपयोगकर्ता Exclusive Lock प्राप्त करता है, तो अन्य उपयोगकर्ता उस डेटा पर कोई कार्य नहीं कर सकते।
Q.10 Trigger क्या है? समझाइए।
Trigger एक विशेष प्रक्रिया होती है जो एक विशिष्ट घटना (जैसे INSERT, UPDATE, DELETE) होने पर स्वचालित रूप से सक्रिय होती है। इसका उपयोग डेटा की संपूर्णता और स्वचालन सुनिश्चित करने में मदद करता है। Trigger का उपयोग तब किया जाता है जब आपको किसी तालिका में डेटा परिवर्तन के आधार पर कुछ कार्यवाही करनी होती है, जैसे लॉगिंग या डेटा वैलिडेशन। Trigger का उपयोग डेटा सुरक्षा और नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि डेटा में किए गए सभी परिवर्तनों की निगरानी की जाती है।